गंगूबाई काठियावाड़ी एक ऐसा नाम जो मुंबई के कमाठीपुरा के हर स्त्री और वहा के घरों में लिया जाता है।
कौन है ये गंगुबाई , क्या कहानी है गंगुबाई की , कहा से शुरू हुई इनकी कहानी और कहा खतम....
आइए जानते है।
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GANGUBAI kathiawadi |
गंगुबाई की कहानी की शुरवात होती है गुजरात के kathiwad गांव में .. इनका जन्म
"हरजीवनदास काठियावाड़" के यहां 1939 में हूवा।
घर में लड़की हुवी है इसकी खुशी हरजीवनदास और सारे परिवार को थी।
गंगुबाई का परिवार हमारे आपके तरह ही था , बेटी को पढ़ाना लिखाना हरजीवनदास का सपना था ।
लेकिन गंगुबाई को शुरवात से मुंबई .. BOLLYWOOD
इन सबमें रुचि ज्यादा थी। सपनो की नगरी मुंबई उन्हे अपनी और खींच रही थी।
कुछ दिनों बाद kathiawad परिवार में "रमणीक" नाम का व्यक्ति काम करने आया। वो कुछ दिन मुंबई में रहकर आया था ये बात जैसी ही गंगूबाई को पता चली दोनो में बात चीत बड़ने लगी ।
रमणीक गंगुबाई को मुंबई के बारे में बताता । थोड़े ही दिनों में दोनो में नजदीकिया बड़ने लगी और दोनो को एक दूसरे से प्यार हो गया।
अब दोनो ने भागकर शादी करने का फैसला किया... दोनो ने भागकर मंदिर में शादी कर ली । जाते समय वो अपनी मां के जेवर ले कर भाग गई।
दोनो मुंबई पोहोचे कुछ दिन गुजारे । एक दिन रमणीक गंगुबाई को रहने के लिए घर ढूंढने जाता हु बोलकर अपनी मौसी के पास छोड़कर जाता है।
रमणीक की मौसी आती है और गंगुबाई को लेकर टैक्सी में चली जाती है । गंगुबाई को पता नही होता है की रमणीक ने उसे "500" रुपए बेच दिया है।
टैक्सी कमाठीपुरा की और निकली.. कमाठीपुरा mumbai ka मशहूर "RED LIGHT area" ।
GANGUBAI ne खुप चीख पुखार किया लेकिन उन्हें पता था कि उनकी वहा सुनने वाला कोई नही था। उन्हे पता था कि इस दलदल से निकलना नामुंकिन है और निकल भी गई तो काठीवाड़ी नही जा सकती घरवाले उनका स्वीकार नहीं करेंगे .. घरसे भागकर समाज में बेज्जती तो हो ही चुकी है .. अगर वेश्यालय से आई है पता चला तो सारे परिवार का जीना मुश्किल कर देंगे लोग।
आखिर गंगुबाई ने परिस्थिति का स्वीकार किया ...और कमाठीपुरा में ही रहने लगी।
गंगुबाई कमाठीपुरा में काफी मशहूर हुई । जो कोई कमाठीपुरा आता गंगुबाई के बारे में पूछता ।
ऐसी ही एक दिन "शौकद खान" नाम का पठान गंगुबाई के पास आया। उसने उसे बहुत बुरी तरीके से नोचा खचीटा और बिना पैसे दिए चला गया...थोड़े ही दिनों में ये दोबारा हुवा .. लेकिन इस बार गंगुबाई की ऐसी बुरी हालत हुई की उसे अस्पताल दाखिल करना पड़ा।
लेकिन इस बार गंगू बाई ने ठान लिया था की इसका पता लगाकर रहेगी...कुछ छानबीन करने के बाद उसे पता चला की उसका नाम"शौकद खान" है जो मशहूर DON- KARIM LALA के लिये काम करता हे।
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Karim Lala |
यह बात पता चलते ही क्या था..गंगुबाई करीम लाला से मिलने उनके घर पोहोची... गंगुबाई करीम लाला के घर के सामने खड़ी थी जैसे ही करीम लाला घर के बाहर पहुंचा गंगू ने उनसे बात करने की इच्छा जताई।
करीम लाला ने उन्हे अपने घर के छत पर इंतजार करने के लिए कहा। करीम लाला अपने छत पर पहुंचा और गंगुबाई से बातचीत की।
बातचीत में गंगुबाई ने सारी घटना करीम लाला का बताई ...इस बात पर करीम लाला ने गंगू से कहा कि अगली बार जब वो आए तुम मुझे बताना..में देख लूंगा उसे ।
इस बात पर गंगुबाई भावुक हुई और अपने पास से एक धागा निकाला और करीम लाला को राखी बांध दी और कहा " आजतक किसी मर्द ने मुझे इतना सुरक्षित महसूस नही कराया" आज से आप मेरे "राखीभाई" हुवे।
कुछ हफ्तों बाद "शौकद खान" फिर कमाठीपुरा आया जैसी वो गंगुबाई की और दौड़ा नीचे खड़ा खबरी करीम लाला की और दौड़ा और करीम लाला को साथ लेकर आया... जैसे ही करीम लाला ने "शौकद खान" को गंगुबाई के साथ देखा उसने अपने आदमियों के साथ मिलकर उसे मारना शुरू कर दिया करीम लाला ने "शौकद खान" को इतना मारा की वो अधमरा हो गया।
और सारे कमाठीपुरा के सामने कहा कि गंगुबाई उसकी "राखीबहन" हे अगर किसीने उसकी तरफ आंख उठा कर देखा तो वो उसे छोड़ेगा नही।
फिर क्या था इन सब बातो से गंगुबाई का वर्चस्व कमाठीपुरा में बड़ गया।
कुछ समय बाद गंगुबाई जिस घर में रहती थीं वहा पे घरवाली का ELECTION हुवा ... घरवाली वो होती है जो उस घर के 20 -30 घरो का कारोबार संभालती है। और इससे ऊपर होती है बड़ी घरवाली जो पूरे बिल्डिंग का कारोबार संभालती है ।
गंगुबाई ने पहले घरवाली के election जीते और फिर बड़ी घरवाली ... आस पास के सारे area में पता था की गंगुबाई करीम लाला की राखी बहन हे जिससे गंगुबाई का दबदबा बड़ा और "कोठेवाली" से वो "काठेवाली" बन गई।
अब गंगुबाई काठेवाली के नाम से जाने लगी।
GANGUBAI का जिंदगी का सारांश HUSSAIN ZAIDI द्वारा लिखित किताब "Mafia Queens of Mumbai" में मिलता है।
हुसैन जी लिखते है की ,
गंगुबाई ने अपने area में रहने वाली सेक्स वर्कर (prostitute) के लिए बहुत काम किया ।
गंगुबाई द्वारा मुंबई के आजाद मैदान में दिया हुवा भाषण ने पूरी भिड़ को थर्रा कर दिया था।
उन्होंने कहा था की " अगर कमाठीपुरा की औरते ना हो तो मुंबई की सड़के औरतों के लिए सुरक्षित नहीं है"।
और कहा
"में घरवाली हू घर तोड़ने वाली नही "
अब इसी गंगुबाई की कहानी संजयलीला बंसाली द्वारा बनाई गई फिल्म " GANGUBAI kathiawadi" को हम 30 जुलाई 2021 को परदे पर देखेंगे।
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